मूकमाटी आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की जीवंत कृति अप्रतिम है श्रीविनोद जैन आचार्य
राजस्थान धड़कन न्यूज़ रवि जोशी रामगंजमंडी
शुक्रवार की अनुपम बेला में श्रमण संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित सम्यक ज्ञान शिविर का शुभारंभ हो गया इसी क्रम में बालकों की नियमित कक्षाएं भी शुरू हो गई है जिसमें उन्हें नैतिक शिक्षा, आर्ट एंड क्राफ्ट के साथ-साथ धर्म का अध्यापन भी कराया जा रहा वहीं आचार्य श्री की जीवंत कृति मूक माटी महाकाव्य का भी अध्ययन कराया जा रहा है शिविर सकल दिगंबर जैन समाज रामगंजमंडी द्वारा आयोजित किया जा रहा है जिसका कुशल संचालन रामगंज मंडी नगर के विद्वत प्रशांत जैन आचार्य कर रहे हैं। संध्या की बेला आचार्य श्री द्वारा रचित जीवंत कृति मूकमाटी काव्य का प्रथम चरण शुरू हो गया इसके विषय में अध्ययन कराते हुए श्री विनोद जैन आचार्य ने इसके बारे में प्रकाश डाला उन्होंने कहा मूकमाटी आचार्य श्री की यह जीवन्त कृति अप्रतिम है। एक अचेतन पदार्थ के माध्यम से चेतन को मोक्ष पथ प्रशस्त करना आचार्य श्री के अध्यात्म की पराकाष्ठा है। आचार्य श्री ने अद्भुत कृति का सृजन 25 अप्रैल सन् 1984 में पिसनहारी मढिया जी जबलपुर से प्रारम्भ कर 11 फरवरी सन् 1987 को सिद्धक्षेत्र नैनागिरि जी में पूर्ण किया इसमें कुल चार खण्ड हैं। जिसमें से शिविर में पहले खण्ड का अध्ययन कराया जा रहा है।जिसका नाम है संकर नहीं वर्ण लाभ यह मूकमाटी कृति अभी तक कन्नड़ बांग्ला गुजराती प्राकृत संस्कृत आदि भाषाओं में भी रूपांतरित हो चुकी है। इस कृति ही यह वैशिष्ट्य है। साथ ही अध्ययन में बताया गया कि आचार्य श्री ने सर्वप्रथम प्रकृति का सुरम्य चित्रण किया गया। प्रात:काल की संधि सर्वोत्तम सन्धि है क्योंकि इस काल में सभी प्राणियों के उत्तम विचार होते हैं इत्यादि विचारों के माध्यम से मूकमाटी की प्रथम कक्षा पूर्ण हुई। शिविर संयोजक आकाश जैन आचार्य ने बताया कि रामगंज मंडी नगर में पहली बार रविवार की बेला में एक साथ 36 मंडलों पर आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज का गुणानुवाद करते हुए आचार्य छत्तीसी विधान किया जाएगा। जो भक्ति भाव के साथ संपन्न होगा शिविर में बच्चों को धार्मिक संस्कार देने के लिए हेमंत जैन आचार्य, मनोज जैन आचार्य सुंदरतम रूप में कक्षाएं संचालित कर रहे हैं।