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February 12, 2025
दैनिक समाचार

वर्तमान साधु परंपरा आचार्य शांति सागर जी की देन आचार्य श्री वर्धमान सागर

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राजस्थान धड़कन न्यूज गजेन्द्र लखारा पारसोला नरवाली आचार्य श्री धर्म सागर जी से दीक्षित 74 वर्षीय पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी का विहार पारसोला से बांसवाड़ा की और चल रहा है दिगंबर जैन मंदिर नरवाली में प्रवेश के अवसर पर आयोजित धर्म सभा में प्रवचन में बताया कि एक मंगल मय अवसर समाज और देश के समक्ष आया है जिसकी लालसा और अभिलाषा पूरे देश को है हम सब का सौभाग्य है कि हमें प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज का आचार्य प्रतिस्थापना शताब्दी महोत्सव मनाने का एक अवसर मिला है एक वर्ष की अवधि में हम पैदल बिहार कितने नगरों में जा सकते हैं कुछ शहरों का लाभ मिलेगा यह आयोजन केवल पारसोला नगर का नहीं संपूर्ण देश का है क्योंकि दिगंबर जैन समाज को सभी श्रमण परंपरा को आचार्य शांति सागर जी के उपकारों को चुकाने का एक स्वर्णिम अवसर मिला है यह मंगल देशना वात्सल्य वारिधी आचार्य शिरोमणी श्री वर्धमान सागर जी ने धर्म सभा में प्रगट की ब्रह्मचारी गज्जू भैय्या राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने आगे उपदेश में बताया 20 वीं शताब्दी आचार्य श्री शांति सागर जी के नाम से जानी जाती है और 20वीं शताब्दी के बाद ही 21वीं शताब्दी आती है 20वीं शताब्दी में आचार्य शांति सागर जी महाराज ने जो जैन धर्म श्रवण संस्कृति को पुर्नजागृत किया वह उपकार भूलना मुश्किल है आचार्य श्री ने आगे बताया कि आज जितनी सरलता और सहजता से हमें मुनियों के दर्शन हो रहे हैं मुनियों के चातुर्मास हो रहे हैं यह सब आचार्य शांति सागर जी की देन है उन्होंने श्रमण परंपरा और जैन संस्कृति की रक्षा के लिए वह किसी से डरे नहीं किसी के आगे झुके नहीं जब दक्षिण भारत से उत्तर भारत की ओर बिहार किया तब भारत शासन की राजधानी दिल्ली में महत्वपूर्ण शासकीय इमारत के सामने खड़े होकर उन्होंने फोटो खिंचवाये जो इस बात के परिचायक थे कि जैन दिगंबर जैन साधुओं का निर्गंथ अवस्था में स्वतंत्र भ्रमण होता था न केवल दिल्ली में बल्कि जब कर्नाटक महाराष्ट्र से निजाम हैदराबाद होते हुए आचार्य शांति सागर जी का बिहार हुआ तब निजाम राज्य में दिगंबर साधुओं के बिहार पर रोक थी किंतु देवी सपने से राजा को आदेश मिलता है कि प्राचीन काल से दिगंबर साधुओं का स्वतंत्र भ्रमण होता है तब उन्होंने भ्रमण पर रोक का आदेश वापस लेकर पुलिस सुरक्षा भी दी आज जैन समाज देश में सर उठाकर चल रहा है तो वह आचार्य श्री शांति सागर जी की देन है उन्होंने जैन धर्म की रक्षा कर हमें जिनालय जिनवाणी जैन धर्म की संस्कृति की धरोहर दी है जब आपत्ति आती है तब आत्मविश्वास और श्रद्धा धर्म पर दृढ़ता पूर्वक होना चाहिए हमारे जिनालयों में वीतरागी भगवान विराजित है उनकी विधि पूर्वक धर्म आराधना पूजन करने से पुण्य में वृद्धि होती है नरवाली नगर पुण्यशाली है कि यहां पर मुनि श्री सुदर्शन सागर जी महाराज का जन्म हुआ उन्होंने भी राज रोग टी बी होने के बावजूद धर्म पर दृढ़ रहे और समता पूर्वक आचार्य श्री धर्म सागर जी के सानिध्य में किशनगढ़ में उनकी समाधि हुई उनकी सेवा करने का अवसर हमें भी प्राप्त हुआ था आचार्य श्री वर्धमान सागर जी का 30 साधुओं सहित 11 अप्रैल को रावतपुरा डगाल रात्रि विश्राम कर 12 अप्रैल की आहार चर्या ख़मेरा नगर में हुई। संघ के विहार की दिशा बांसवाड़ा हैं


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