पिछले एक साल में 50 से ज्यादा बच्चे उदयपुर में ट्रैफिकिंग से छुड़वाए गए, ट्रैफिकर्स आज भी जनजाति अंचल में सक्रिय-डॉ. पण्ड्या
राजस्थान धड़कन न्यूज योगेश जोशी उदयपुर भारतीय न्याय संहिता के नए खंड में ट्रैफिकिंग को एक अपराध के रूप में शामिल करना स्वागत योग्य है परंतु उदयपुर संभाग सहित ऐसे क्षेत्र जो अन्य राज्यों की बॉर्डर से लगे है जनजाति क्षेत्रों में आज भी ट्रैफिकिंग की शिकायत मिलती रहती है पिछले एक साल में जिला प्रशासन उदयपुर पुलिस एवं संस्थान के प्रयास से 50 से ज्यादा बच्चे ट्रैफिकिंग से छुड़वाए गए ट्रैफिकिंग रोकने जनजाति अंचल को ध्यान में रखते हुए सशक्त कानून बनाने की आवश्यकता है जहां बच्चों के बेहतर पुनर्वास पर भी कार्य किया जाए उक्त विचार शहर के हिरण मगरी सेक्टर-6 स्थित गायत्री सेवा संस्थान के विवेकानन्द सभागार में विश्व मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस के उपलक्ष में गायत्री सेवा संस्थान द्वारा आयोजित ”एक्सेस टू जस्टिस” न्याय तक पहुंच विषय पर संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए राजस्थान बाल आयोग, राजस्थान सरकार के पूर्व सदस्य एवं बाल अधिकार विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र पण्ड्या ने व्यक्त किए इस अवसर पर ”एक्सेस टू जस्टिस” के प्रमुख रवि कांत ने जानकारी देते हुए बताया कि हालांकि हम लोग दुर्व्यापारियों के चुंगल से बच्चों को मुक्त कराने हेतु सामूहिक रूप से राज्य सरकारों के साथ काम कर रहे हैं लेकिन अब हमारी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता है ट्रैफिकिंग पर नवीनतम रिपोर्ट बताती है कि किस तरह ट्रैफिकर (दुर्व्यापारी) रोजना नए और आधुनिक तरीके अपना रहे हैं इस अवसर पर गायत्री सेवा संस्थान के प्रतिनिधि एवं न्याय तक पहुंच कार्यक्रम के सहयोगी सदस्य नितिन पालीवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि 180 सामाजिक संगठनों के गठबंधन “एक्सेस टू जस्टिस“ द्वारा आज राष्ट्र के विभिन्न जिलों में संगोष्ठी सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर दुर्व्यापार के खिलाफ एकजुट होकर शपथ ली जा रही हैं संस्थान द्वारा आज दुर्व्यापार रोकने में सहयोगी कानून योजनाओं एवं सरकारी प्रावधानों की जानकारी वाले पोस्टर को जारी किया गया संगोष्ठी में उदयपुर संभाग के विभिन्न जिलों में कार्यरत स्वंय सेवक राजस्थान चाइल्ड एडवाइजरी ग्रुप (आर. केग.) के सदस्य एवं एक्सेस टू जस्टिस की टीम उपस्थित रही