मुक्तिधाम की कठिन डगर, नाथ जोगी समाज को नही मिली मुक्ति की जगह
राजस्थान धड़कन न्यूज योगेश जोशी सलूंबर इस दुनिया का सबसे बड़ा सत्य मौत है लोगों का मानना है की अंतिम संस्कार के बाद आत्मा एक सुकून भरी यात्रा पर निकल जाती है लेकिन सलूंबर जिले के मेवल क्षेत्र के माकडसीमा गांव में ऐसी स्थिति है जहां बारिश के मौसम में किसी की मौत के बाद लोगों को तालाब के पानी से गुजरते हुए अंतिम यात्रा निकालनी पड़ती है जयसमंद किनारे पर बसे माकड़सीमा गांव में सभी समाज के दाह संस्कार की शमशान भूमि तालाब के अंदर होने से कमर तक के पानी में निकालना पड़ता है अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं होने से स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी समस्या का समाधान एक पूल बनने से हो सकता है
*नाथ जोगी समाज आज भी अपने खातेदारी भूमि पर करते हैं दाह संस्कार*
माकडसीमा गांव के भीमनाथ जोगी का पुत्र दलनाथ का निधन हो जाने से इसका दाह संस्कार अपनी ही निजी जमीन पर करना पड़ा बता दे कि पिछले कई वर्षों से सलूंबर जिले में रहने वाले नाथ जोगी समाज के पास दाह संस्कार के लिए कई गांवों में आज भी शमशान भूमि नहीं है